israel iran war- इतिहास में एक निर्णायक मोड़


नमस्कार! आज का दिन, 27 अक्टूबर 2024, israel iran war के लिये इतिहास के पन्नों में एक महत्वपूर्ण अध्याय के रूप में दर्ज किया जाएगा। इजराइल ने आज ईरान के खिलाफ एक बड़ा आक्रमण शुरू कर दिया है। इस आक्रमण के पीछे की वजह 1 अक्टूबर 2024 को ईरान द्वारा इजराइल पर किया गया हमला बताया जा रहा है। इस लेख में हम इस आक्रमण के विवरण, इसके विश्व पर पड़ने वाले संभावित प्रभाव और भारत के लिए इसके नतीजों पर चर्चा करेंगे।

इजराइल का ईरान पर बड़ा आक्रमण

आज की प्रमुख खबर यह है कि इजराइल ने ईरान की राजधानी तेहरान पर बड़े पैमाने पर एयर स्ट्राइक की है। इजराइल की सेना, जिसे आईडीएफ (इजराइल डिफेंस फोर्सेज) के नाम से जाना जाता है, ने लगभग 140 फाइटर जेट्स के साथ यह हमला किया। इस आक्रमण में तेहरान और उसके आसपास की कई सैन्य ठिकानों पर बमबारी की गई है। इजराइल की ओर से जारी किए गए बयान के अनुसार, इस हमले का मकसद ईरान की मिसाइल निर्माण इकाइयों और उसके हवाई सुरक्षा तंत्र को नष्ट करना था।

इजराइल का कहना है कि israel iran war के बाद अब ईरान की वायुसेना और मिसाइल सुरक्षा प्रणाली काफी हद तक क्षतिग्रस्त हो चुकी है, जिससे इजराइल अब किसी भी समय आसानी से ईरान के हवाई क्षेत्र में प्रवेश कर सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम इजराइल ने अपनी रक्षा को और मजबूत करने के लिए उठाया है।

israel iran war का विश्व पर प्रभाव और सऊदी अरब की चिंता

इस आक्रमण का सीधा प्रभाव खाड़ी देशों और वैश्विक राजनीति पर भी पड़ेगा। सऊदी अरब, जो हाल ही में ईरान के साथ छोटे पैमाने पर सैन्य अभ्यास में शामिल था, अब सबसे ज्यादा चिंतित है। ईरान ने कई बार संकेत दिए हैं कि अगर इजराइल ने आक्रमण जारी रखा, तो वह सऊदी अरब के तेल भंडार पर हमला कर सकता है। इस स्थिति में, यूएस ने सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान को आश्वासन दिया है कि अगर उन पर हमला हुआ तो यूएस उनकी रक्षा करेगा।

इस आक्रमण का असर वैश्विक अर्थव्यवस्था पर भी पड़ सकता है, खासकर तेल के दामों पर। विश्व में तेल की सप्लाई में बाधा आने से स्टॉक मार्केट्स में उतार-चढ़ाव देखा जा सकता है।

israel iran war का भारत पर प्रभाव और हमारे लिए स्थिति का महत्व

भारत के दृष्टिकोण से यह स्थिति बहुत संवेदनशील है। अगर यह युद्ध लंबा चलता है, तो भारत के व्यापारिक मार्गों पर भी असर पड़ेगा, खासकर उत्तर-दक्षिण ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर पर। भारत और रूस के बीच व्यापार का यह महत्वपूर्ण मार्ग भी बंद हो सकता है। इसके अतिरिक्त, इजराइल और भारत के बीच कई व्यापारिक समझौते हैं, जिन पर भी असर पड़ सकता है। इसीलिए, एक भारतीय नागरिक के रूप में हम उम्मीद करते हैं कि इस टकराव का जल्द ही समाधान हो जाए ताकि वैश्विक शांति और भारत के हित सुरक्षित रहें।

अमेरिकी समर्थन की स्थिति

यह ध्यान देने योग्य है कि इस आक्रमण में अमेरिका ने इजराइल का सक्रिय रूप से समर्थन नहीं किया। अमेरिका के किसी भी फाइटर जेट या नेवी का इस्तेमाल इस हमले में नहीं किया गया है। इसके बजाय, अमेरिका ने अपने सांसदों के माध्यम से एक तटस्थ संदेश दिया है कि वह युद्ध को बढ़ावा नहीं देना चाहता। हालांकि, अमेरिकी मीडिया इजराइल के समर्थन में बयान दे रहा है, लेकिन अमेरिका का यह कदम वैश्विक स्तर पर स्थिति को शांत रखने के प्रयास का संकेत माना जा रहा है।

Israel-Iran War: 25 दिनों बाद इजराइल ने दिया ईरान को करारा जवाब

हमला कैसे हुआ?

25 अक्टूबर की रात को इजराइल ने अपने आधुनिक हथियारों से लैस फाइटर जेट्स के जरिए ईरान, इराक और सीरिया पर बड़े पैमाने पर हमला किया। इस हमले में इजराइल के सबसे उन्नत लड़ाकू विमान जैसे एफ-35, एफ-15 और एफ-16 आई शामिल थे। इन विमानों ने ईरान के विभिन्न शहरों में मिसाइल और बम बरसाए। इसके अलावा, इजराइली सेना ने ईरान के एयर डिफेंस सिस्टम, ड्रोन बेस और मिसाइल निर्माण केंद्रों को भी निशाना बनाया।

टारगेटेड क्षेत्र

इस हमले में इजराइल ने ईरान के तेहरान, कुर्दिस्तान और इलम प्रांत में मिलिट्री ठिकानों को टारगेट किया। इस हमले का प्रभाव केवल ईरान तक ही सीमित नहीं रहा, बल्कि इराक और सीरिया में भी इजराइली सेना ने कई हमले किए। इस कार्रवाई से यह साबित होता है कि इजराइल अब केवल ईरान के हमलों को बर्दाश्त करने के मूड में नहीं है और उसने अपनी हवाई सीमा भी यात्री विमानों के लिए बंद कर दी है।

israel iran war में इस्तेमाल किए गए प्रमुख हथियार

इजराइल के इस हमले में दो प्रमुख मिसाइलें शामिल थीं:

  1. रैंपेज मिसाइल – यह एक सैटेलाइट गाइडेड मिसाइल है जो 250 किलोमीटर तक के लक्ष्य को सटीकता से भेद सकती है। इसका उपयोग सैन्य ठिकानों और महत्वपूर्ण इमारतों पर हमला करने के लिए किया गया।
  2. रॉक्स मिसाइल – यह एक लंबी दूरी की मिसाइल है, जिसे रडार और एयर डिफेंस सिस्टम को निशाना बनाने के लिए डिज़ाइन किया गया है। इसका उपयोग उच्च सुरक्षा वाले क्षेत्रों पर हमला करने के लिए किया गया।

ईरान की प्रतिक्रिया

इजराइली हमले के बाद ईरान की ओर से पहला आधिकारिक बयान जारी किया गया, जिसमें उन्होंने पुष्टि की कि इजराइल ने उनके सैन्य ठिकानों पर हमला किया है। ईरान ने दावा किया है कि उनके एयर डिफेंस सिस्टम ने कुछ इजराइली मिसाइलों को नष्ट किया, लेकिन इस हमले से उन्हें मामूली नुकसान हुआ है।

क्यों हुआ हमला?

1 अक्टूबर को ईरान ने लगभग 200 मिसाइलें दागीं, जिसके बाद इजराइल ने बदले की कार्रवाई की योजना बनाई। ईरान का मानना है कि इजराइल द्वारा हमास और अन्य प्रॉक्सी गुटों को नियंत्रित किया जा रहा है, जो इजराइली नागरिकों के लिए खतरा उत्पन्न कर रहे हैं। इजराइल ने भी दावा किया है कि वे इस हमले से अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए बाध्य थे।

विशेषज्ञों की राय

विशेषज्ञ मानते हैं कि यह हमला एक सीमित और सावधानीपूर्वक सोचा-समझा ऑपरेशन था। इजराइल ने इस हमले से ईरान को चेतावनी दी है कि वह अपनी हद में रहे। हालांकि, यह भी संभव है कि ईरान जल्द ही इजराइल पर पलटवार करने की कोशिश करेगा।

निष्कर्ष

इजराइल और ईरान के बीच यह संघर्ष बढ़ सकता है। इस घटना ने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर चिंता बढ़ा दी है और यह क्षेत्रीय स्थिरता के लिए खतरा उत्पन्न कर सकता है।
आने वाले दो दिन बहुत ही महत्वपूर्ण होंगे। यह देखना होगा कि ईरान इस हमले पर क्या प्रतिक्रिया देता है और क्या वह इजराइल के खिलाफ जवाबी हमला करता है या नहीं। अगर यह संघर्ष एक पूर्ण युद्ध का रूप ले लेता है, तो इसका व्यापक प्रभाव विश्व पर पड़ेगा Aऔर विशेषकर भारत जैसे देशों पर इसका आर्थिक प्रभाव महसूस किया जाएगा।

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