The Sabarmati Report: REAL MOVIE OF HINDU’S release date,review and

हाल ही में बॉलीवुड की एक नई फिल्म The Sabarmati Report ने चर्चा का बाजार गर्म कर दिया है। यह फिल्म गुजरात के 2002 के दंगों के बाद की स्थिति को दिखाती है और खासकर इस पर बनी फिल्मों और मीडिया कवरेज को लेकर सवाल उठाती है। फिल्म के ट्रेलर ने एक तरफ जहां लोगों को उत्साहित किया है, वहीं दूसरी तरफ इसे लेकर विभिन्न राय भी बन रही हैं।

गुजरात 2002 के दंगे, विशेष रूप से साबरमती एक्सप्रेस में हुए नरसंहार, एक दुखद और संवेदनशील घटना है, जिसने भारतीय समाज में गहरे घाव छोड़े। इस घटना के बाद, कई फिल्में और डॉक्यूमेंट्री बनाई गईं, जिनमें से कई को राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिले, जैसे Parzania और Firaaq। इन फिल्मों ने गुजरात दंगों को एक पक्षीय दृष्टिकोण से पेश किया, जिससे कई बार विवाद भी पैदा हुआ।

अब, The Sabarmati Report इस मुद्दे को एक नए दृष्टिकोण से पेश करने का प्रयास करती है, लेकिन क्या यह फिल्म सच में दंगों की जटिलताओं को सही तरीके से दिखाती है?

2002 के गुजरात दंगे: एक पृष्ठभूमि

2002 में गुजरात में हुए दंगे, जो साबरमती एक्सप्रेस में 59 हिंदू यात्रियों की जलकर मौत के बाद भड़के थे, एक दुखद और भयावह घटना थी। इस घटना के बाद, गुजरात और भारत के अन्य हिस्सों में साम्प्रदायिक हिंसा फैली, जिसमें सैकड़ों लोग मारे गए, हजारों घायल हुए और लाखों की संपत्ति को नुकसान पहुंचा। इस घटना के बाद की स्थिति को लेकर कई तरह की रिपोर्ट्स और जाँच आयोगों ने अपनी रिपोर्ट पेश की, जिनमें सबसे प्रमुख थे नानावटी कमीशन और बैनर्जी कमीशन।

लेकिन फिल्म और मीडिया के जरिए यह घटना किस तरह से प्रस्तुत की जाती है, यह भी उतना ही महत्वपूर्ण था। फिल्म इंडस्ट्री ने इसे अपने तरीके से दिखाया, और यही कारण है कि इस विषय पर बनी फिल्मों को लेकर अक्सर विवाद उठते रहे हैं।

The Sabarmati Report: एक नई कोशिश?

The Sabarmati Report फिल्म का ट्रेलर 1 नवंबर 2024 को यूट्यूब पर रिलीज हुआ और इसके बाद से ही यह सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बन गया है। फिल्म का निर्देशन धीरज सरना ने किया है और इसमें विक्रांत मैसी, राशी खन्ना और रिधि डोगरा जैसे कलाकार मुख्य भूमिका में हैं। फिल्म का निर्माण एकता कपूर के बालाजी मोशन पिक्चर्स और फिल्म्स द्वारा किया गया है।

फिल्म का कथानक साबरमती एक्सप्रेस में हुए नरसंहार के बाद के घटनाक्रम और उसकी मीडिया कवरेज पर आधारित है। यह फिल्म उन सभी सच्चाइयों को उजागर करने का प्रयास करती है, जो मीडिया और राजनैतिक दबाव के कारण दबा दी गईं थीं। क्या यह फिल्म वास्तविकता को सही ढंग से दर्शाती है? क्या यह बॉलीवुड द्वारा प्रोपेगेंडा फैलाने वाली अन्य फिल्मों से अलग है? ये सवाल अब लोगों के मन में हैं।

बॉलीवुड और 2002 के दंगों पर बनी फिल्में

गुजरात दंगों पर बॉलीवुड में कई फिल्में बनी हैं, जिनमें से कुछ को राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिला। Parzania और Firaaq जैसी फिल्में तो पहले ही इस मुद्दे को एक पक्षीय तरीके से दिखा चुकी हैं। इन फिल्मों में विशेष रूप से मुस्लिम समुदाय के पीड़ितों को ही प्रमुखता दी गई है, और इस दौरान हिंदू समुदाय के पहलुओं को नजरअंदाज किया गया।

इन फिल्मों में सबसे ज्यादा चर्चा Firaaq की हुई, जिसे नंदिता दास ने निर्देशित किया था। इस फिल्म में गुजरात दंगों के बाद के जीवन को बखूबी दिखाया गया, लेकिन इसे भी बहुत से लोगों ने एकतरफा और पक्षपाती माना। इसी तरह, Parzania फिल्म भी उस समय की राजनीतिक स्थिति और मीडिया कवरेज को निशाना बनाती है, जो मुस्लिम समुदाय की पीड़ा को केंद्रित करती है।

इन फिल्मों को कई आलोचकों ने अपनी तकनीकी गुणवत्ता के बावजूद प्रोपेगेंडा माना, क्योंकि इनका फोकस एक ही पक्ष पर था। ऐसे में, क्या The Sabarmati Report इस बार सही और संतुलित तरीके से घटनाओं को दिखा पाई है, यह देखना दिलचस्प होगा।

क्या The Sabarmati Report सच्चाई को उजागर करेगी?

The Sabarmati Report का ट्रेलर एक नई दिशा में जाने का संकेत देता है। यह फिल्म न सिर्फ गुजरात दंगों के बारे में बात करती है, बल्कि यह भी दिखाती है कि किस प्रकार मीडिया और राजनीति ने उस समय की घटनाओं को मोड़ने की कोशिश की। फिल्म के संवाद और किरदारों में जो तर्कसंगतता और समग्र दृष्टिकोण दिखाई देता है, उससे यह उम्मीद जताई जा रही है कि यह फिल्म गुजरात दंगों के विभिन्न पहलुओं को सामने लाएगी।

विशेष रूप से, यह फिल्म उस समय की राजनीतिक स्थिति, मीडिया की भूमिका और समाज के भीतर बढ़ती नफरत को ध्यान में रखते हुए बनाई गई है। फिल्म का उद्देश्य केवल एकतरफा कहानी नहीं सुनाना, बल्कि घटनाओं के विभिन्न पहलुओं को दर्शाना है।

बॉलीवुड और मीडिया के बीच कनेक्शन

भारत में फिल्म इंडस्ट्री और मीडिया की भूमिका हमेशा से बड़ी रही है, खासकर जब बात किसी बड़े सामाजिक और राजनीतिक मुद्दे की हो। The Sabarmati Report की तरह कई फिल्में हैं जिन्होंने अपने तरीके से समाज को दिखाने की कोशिश की है। कुछ फिल्में जहां एक पक्ष को दिखाती हैं, वहीं दूसरी ओर कुछ फिल्में पूरी घटना के संदर्भ में विचार करने की कोशिश करती हैं।

हमारे समाज में मीडिया और फिल्म दोनों ही समाज के दृष्टिकोण को प्रभावित करने का काम करते हैं। फिल्मों में जो बातें इमोशनल तरीके से दिखाई जाती हैं, वे दर्शकों के दिलों में गहरे तक बैठ जाती हैं। इसी तरह, मीडिया के जरिए प्रसारित किए गए समाचार और रिपोर्ट्स भी आम जनता के मन में अपनी जगह बना लेते हैं।

निष्कर्ष

अंत में, The Sabarmati Report सिर्फ एक फिल्म नहीं, बल्कि एक बहस का हिस्सा है। यह फिल्म हमें यह समझने का मौका देती है कि इतिहास को किस तरह से फिल्में और मीडिया अपने ढंग से पेश करते हैं। क्या यह फिल्म गुजरात दंगों की वास्तविकता को सही तरीके से दिखा पाएगी या फिर यह भी एक और प्रोपेगेंडा फिल्म बनकर रह जाएगी?

फिल्म के रिलीज़ होने के बाद ही यह सवाल और ज्यादा स्पष्ट हो पाएंगे। फिलहाल, The Sabarmati Report ने इस महत्वपूर्ण विषय पर चर्चा को और गहरा कर दिया है। इस फिल्म को लेकर आपकी राय क्या है? क्या आपको लगता है कि यह फिल्म सच में दंगों की वास्तविकता को दिखाती है या फिर यह भी बॉलीवुड की अन्य प्रोपेगेंडा फिल्मों की तरह एक पक्षीय है? अपने विचार हमें नीचे कमेंट में जरूर बताएं।

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